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लेखक:

हरिहर वैष्णव

जन्म: 19 जनवरी, 1955, दन्तेवाड़ा (बस्तर, छ.ग.)।

शिक्षा: हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर।

मूलत: कथाकार एवं कवि। साहित्य की अन्य विधाओं में हिन्दी के साथ-साथ हल्बी, भतरी, छत्तीसगढ़ी में भी समान लेखन प्रकाशन। सम्पूर्ण लेखन-कर्म बस्तर पर केन्द्रित। लेखन के साथ-साथ बस्तर के लोक संगीत तथा रंगकर्म में भी दख़ल।

कृतियाँ: ‘बस्तर की मौखिक कथाएँ’ (लोक साहित्य), ‘मोह भंग’ (कहानी-संग्रह), गुरुमायँ सुकदई कोराम द्वारा प्रस्तुत बस्तर की धान्य देवी की कथा’ लछमी जगार’ (बस्तर का लोक महाकाव्य), ‘बस्तर का लोक साहित्य’ आदि लगभग एक दर्जन पुस्तकें।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अन्तर्गत ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के आमन्त्रण पर 1991 में आस्ट्रेलिया; लोडिंग-रोव्होल्ट फाउंडेशन के आमन्त्रण पर 2000 में स्विट्ज़रलैंड तथा दी राकफेलर फाउंडेशन के आमन्त्रण पर 2002 में इटली प्रवास। स्कॉटलैंड की एनीमेशन संस्था ‘वेस्ट हाईलैंड एनीमेशन’ के साथ हल्बी बोली के पहली एनीमेशन फ़िल्म का निर्माण। फ्रांसिसी टीवी चैनल ‘फ्रांस-5’ द्वारा बस्तर के विश्वप्रसिद्ध दशहरा पर केन्द्रित वृत्तचित्र के संवादों का बस्तर की विभिन्न लोकभाषाओं से अंग्रेज़ी में अनुवाद।

सम्मान: छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य परिषद् द्वारा ‘स्व. कवि उमेश शर्मा सम्मान’ (2009), दुष्यन्त कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय, भोपाल द्वारा ‘आंचलिक रचनाकार सम्मान’ (2009)।

तीजा जगार

हरिहर वैष्णव

मूल्य: Rs. 490

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बस्तर की आदिवासी एवं लोक हस्तशिल्प परम्परा

हरिहर वैष्णव

मूल्य: Rs. 700

बस्तर के आदिवासी एवं लोक हस्तशिल्प तथा इसकी परंपरा में रुचि रखने वाले कलाप्रेमियों तथा अध्येताओं के लिए यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी   आगे...

 

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